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इनकम टैक्स (आयकर रिटर्न) - एक ज़िम्मेदारी न कि डर

इनकम टैक्स आपकी आमदनी पर वसूलने वाला कर है जो कि केंद्र सरकार वसूलती है और इस कमाई को सरकार अपने खर्चे , गतिविधियों और जनता की सेवा को पूरा करने के लिए उपयोग मे लाती है।


इनकम टैक्स रिटर्न आपकी लेन देन ,खर्चे, आमदनी,निवेश और आपकी टैक्स देनदारी के बारे मे सरकार को बताना होता है इसके लिए आपको एक फ़ॉर्म  भरना पड़ता है जो कि आईटीआर के नाम से जाना जाता है। इनकम टैक्स रिटर्न को आयकर रिटर्न भी कहते हैं।

*लिखित मे हिसाब क़िताब*

इनकम टैक्स रिटर्न मे आप विस्तार से सरकार को यह जानकारी देते है कि इस वर्ष आपने कहाँ और कितना निवेश किया और आपने अपनी नौकरी, कारोबार से कितनी कमाई की। ये सारी जानकारी आपके द्वारा केंद्र सरकार को दी जाती है। साथ साथ मे आप इसमें सरकार द्वारा निर्धारित टैक्स विकल्प मे निवेश करने , ज़रूरी चीज़ों पर ख़र्च करने और एडवांस टैक्स चुकाने के बारे मे भी पूरी जानकारी देते हैं।

*आयकर रिटर्न भरने का मतलब टैक्स चुकाना नहीं*

हर देश का अपना एक कानून होता है और उस कानून को ध्यान मे रखते हुए हर व्यक्ति को आयकर रिटर्न भरना चाहिए भले ही वो किसी भी व्यवसाय का क्यों न हो।
वित्त वर्ष की समाप्ति पर आयकर रिटर्न फ़ाइल करके आप सरकार या इनकम टैक्स विभाग से ये कह सकते है  कि आप इनकम टैक्स की देनदारी के दायरे मे नही आते। आयकर रिटर्न का मतलब ये नहीं कि आपको टैक्स चुकाना ही चुकाना है ये तो एक जानकारी होती है जो कि आप सरकार को अपने व्यसाय के बारे मे देते है।

*टैक्स चुकाने और रिटर्न भरने मे है अंतर*

आयकर रिटर्न भरना और इनकम टैक्स जमा कराने में काफी अंतर है. अगर कोई व्यक्ति करयोग्य आमदनी के दायरे में नहीं आता, तब भी वह आयकर रिटर्न भर सकता है. नियमित रूप से आयकर रिटर्न भरने से वास्तव में आप अपनी आमदनी का एक दस्तावेजी साक्ष्य जमा कर लेते हैं जो किसी वक्त अपनी आमदनी साबित करने में आपके काम आ सकता है.यहाँ तक कि लोन लेने या इस तरह की किसी अन्य जरूरत के वक्त आयकर रिटर्न आपकी आमदनी का सबसे भरोसेमंद साधन माना जाता है.

अगर आपकी आमदनी टैक्स के दायरे में नहीं आती तो आपके लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी नहीं है. अगर आप नियमित रूप से आयकर रिटर्न भरते रहते हैं, तो इससे आपको कई फायदे मिलते हैं.

*ज़ीरो आईटीआर क्या है?*

आयकर विभाग के मौजूदा नियमों के हिसाब से अगर आपकी करयोग्य आमदनी सालाना 2.5 लाख रुपये से कम है, तो आपके लिए आईटीआर भरना जरूरी नहीं है. आप ऐसे में भी जीरो आईटीआर भर सकते हैं.
जीरो आईटीआर का मतलब यह है क‍ि आप सरकार को टैक्स तो नहीं चुकाते, लेक‍िन अपनी आमदनी और खर्च की जानकारी देते हैं.

*रिटर्न आप कई तरीकों से भर सकते हैं*

जिसमें ई-फाइलिंग से लेकर फिजिकल फॉर्म तक शामिल हैं. आप अपना आयकर रिटर्न खुद भी भर सकते हैं और किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट, टैक्स रिटर्न मददगार (TRP) या इनकम टैक्स प्रैक्टिशनर की मदद से भर सकते हैं.

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